लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -9)
हमारी शुभकामनाएं:-
दशहरा:-
दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
इस विजय के उपलक्ष में दशहरा पर्व पर एक रावण का पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। जो इस बात का प्रतीक अर्थ यह होता है, कि झूठ और फरेब चाहे कोई भी और कितना भी महान व्यक्ति क्यों न करे, वह ज्यादा नहीं टिकता।
भूमिका के पिताजी नवरात्रि महोत्सव में सुंदरकांड या रामायण का पाठ करते एवम इस दिन 5 ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उन्हें यथाशक्ति दान दक्षिणा देकर विदा करते। इसीलिए इस दिन उसके घर धूम धाम रहती ही थी। उसकी मां सुबह सवेरे उठकर स्नान कर रसोई घर की सफाई कर, स्वच्छ भोजन बनाती और भूमिका उस कार्य में उनकी सहायता करती थी।
वे दोनों इस दिन दाल, बाटी, चूरमा के लड्डू, हरे धने की चटनी, गट्टे की सब्ज़ी, चावल बनाते एवम ब्राह्मण जनों को भोजन के लिए आमंत्रित कर उनके लिए थाली तैयार करते और उसके पिताजी उन्हें भोजन परोसते और उसकी माता उनसे भोजन के विषय में पूछती कि क्या कुछ सही लगा और क्या कुछ कमी लगी। उसके पिताजी उन सभी लोगों के रोली सिन्दूर का टीका लगाकर, लच्छा बांधकर, उन्हें दान दक्षिणा देकर उसकी माता के साथ उनका आशीर्वाद लेते।
इस बार एक ब्राह्मण देव ने आने में विलम्ब कर दिया, तो वे लोग भूखे ही बैठे रहे। उनका यह नियम था कि जब तक सभी पंडित भोजन ना कर जाएं, वे लोग भोजन गृहण नहीं करते थे। सभी भूख से व्याकुल हो रहे थे एवम ब्राह्मण देव की प्रतीक्षा कर रहे थे। परंतु वह थे कि आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। थोड़ी और प्रतीक्षा के पश्चात् आख़िर वह ब्राह्मण देव पधारे एवम उन्हें भोजन करवा कर सभी घरवालों ने भी भोजन किया।
भूमिका के लिए आज का दिन एक और तरह से प्रतीक्षा वाला था। आज उसका परीक्षा का परिणाम जो आने वाला था। वह परिणाम जिसके लिए उसने \'री -चेकिंग\' और \'री -इवेल्यूएशन\' करवाया था। वह बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रही थी। इंतजार करते करते उसे नींद आ गई। एक तो वैसे ही पक्का खाना खाया था, तो नींद तो लगनी जायज़ थी।
अचानक एक आहट से उसकी नींद टूटी। यह आवाज़ तो दरवाज़ा खटखटाने की थी, वह झट से उठी और दौड़कर दरवाज़े की ओर भागी। उसने दरवाज़ा खोला तो देखा उसकी प्रतीक्षा की घड़ी अब समाप्त हो चुकी थी और उसके सामने डाकिया खड़ा था। उसने जल्दी से झपटकर डाक ली और साइन करके दरवाज़ा बंद किया। जल्दी से अपने कमरे में गई। मां ने उससे इतनी जल्दी करने का कारण पूछा। परंतु, उसे कुछ सुनाई और दिखाई नहीं दिया। वह तो बस जल्दी से अपना परीक्षा परिणाम देखना चाहती थी।
डरतेडरते भगवान का नाम लेते हुए उसने लिफाफा खोला तो देखा उसके 20 अंक बढ़े थे। वह खुशी से झूम उठी और उसने यह खुस खबरी अपने सभी परिवार वालों को सुनाई। हृदय में ईश्वर का शुक्रिया किया और आज उसे समझ आ गया था कि चाहे देर से ही सही, परंतु सत्य की विजय अवश्य होती है।
30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
19-Nov-2022 05:34 PM
शानदार
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Swati Sharma
20-Nov-2022 12:18 AM
आभार
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Sushi saxena
10-Nov-2022 02:24 PM
Nice
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:46 PM
Thanks
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Khan
09-Nov-2022 10:08 PM
Shandar 🌸🙏
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:46 PM
Thank you
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